अश्विन लिम्बाचिया, अहमदाबाद:
06 मार्च 2025:
प्राचीन जैन भक्ति संगीत में शास्त्रीय रागों पर आधारित महाग्रंथ रागोपनिषद के लोकार्पण के साथ मुंबई में
एक यादगार संगीत संध्या का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्राचीन परंपराओं और समकालीन कलात्मकता
का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण है।

रागोपनिषद नामक यह उत्कृष्ट कृति दूरदर्शी जैन आचार्य भगवंत श्रीमद् विजयतीर्थभद्रसूरीश्वरजी महाराज
साहिब द्वारा तैयार की गई है, जो भक्ति गीतों की सदियों पुरानी पांडुलिपियों से प्राप्त भारतीय शास्त्रीय संगीत
की गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
यह उद्घाटन केवल संगीत का उत्सव नहीं है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का पुनरुद्धार है, जो
भावी पीढ़ियों को हमारी संगीत विरासत की गहराई को तलाशने और उसका सम्मान करने के लिए प्रेरित
करेगा।
यह कार्यक्रम 8 मार्च, 2025 को शाम 5:30 बजे, लक्ष्मी सरस्वती ग्राउंड, इन ऑर्बिट मॉल के बगल में, बांगुर
नगर, गोरेगांव पश्चिम, मुंबई 400 104 में आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की गरिमामयी उपस्थिति होगी, जो इस कार्यक्रम के सांस्कृतिक महत्व पर जोर देंगे। इस कार्यक्रम में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के अलावा मौजूदा उप गृह मंत्री हर्ष सांघवी भी मौजूद रहेंगे।
इस संगीतमय प्रयास के पीछे प्रसिद्ध संगीतकार स्वराधीश डॉ. हैं। भरत बलवल्ली हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में
एक प्रसिद्ध हस्ती हैं। ग्वालियर घराने के आदरणीय पंडित यशवंत बुवा जोशी के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित
बलवल्ली की कलात्मकता में तरलता और अभिव्यक्तिशीलता शामिल है जो तार शहनाई की याद दिलाती है।
पारंपरिक रूपों के संरक्षण और पुनरुद्धार के प्रति उनका अटूट समर्पण रागोपनिषद को फलदायी बनाने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, ताकि ये प्राचीन रचनाएँ समकालीन श्रोताओं के साथ प्रतिध्वनित हों और अपना
मूल सार बनाए रखें। रागोपनिषद भारतीय संगीत का एक अमूल्य रत्न है, जो 500 वर्ष पूर्व विद्वान जैन मुनियों द्वारा लिखा और
संरक्षित किया गया एक गहन ग्रन्थ है। यह पवित्र ग्रंथ आध्यात्मिकता और शास्त्रीय संगीत के बीच गहरे संबंध
पर प्रकाश डालता है तथा दिखाता है कि राग रागिनी किस प्रकार ज्ञान और आंतरिक विकास का माध्यम है।
रागोपनिषद, जिसकी जड़ें जैन मुनियों की रचनाओं में हैं, भारतीय संगीत की दुनिया में एक सांस्कृतिक खजाने
के रूप में खड़ा है।
रागोपनिषद पुस्तक में निम्नलिखित विषय शामिल हैं:
(1) हस्तलिखित पांडुलिपियों से लुप्त 126 रागों का पुनरुद्धार
(2) 38 राग माला
(3) 958 छंदों में पिरोए गए 90 से अधिक मनमोहक राग
(4) 150 से अधिक प्राचीन संगीत वाद्ययंत्रों के चित्र एवं विवरण
(5) 90 प्राचीन, उत्तम, हस्तनिर्मित राग पेंटिंग।
यह असाधारण कार्य प्रसिद्ध पद्मश्री और पद्मभूषण पुरस्कार विजेता संगीतकारों के योगदान से समृद्ध है,
जिनकी कलात्मकता इन प्राचीन धुनों को जीवंत बनाती है। रागोपनिषद का संगीत सीमाओं से परे है, तथा
समग्र उपचार और आध्यात्मिक जागृति की गहन यात्रा प्रदान करता है। लोकार्पण के बाद, उपस्थित लोगों को हिंदी और अंग्रेजी में रागोपनिषद पुस्तक बेची जाएगी, साथ ही व्यक्तिगत पेन ड्राइव पर डिजिटल संगीत संस्करण भी बेचे जाएंगे।
रागोपनिषद संगीत एल्बम में भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों ने प्रस्तुति दी है, जिनमें उस्ताद
राशिद खान, पंडित उल्हास कशालकर, सुरेश वाडकर, सोनू निगम, शंकर महादेवन, जसपिंदर नरूला, जावेद अली,
कौशिकी चक्रवर्ती, अश्विनी भिड़े, पंडित वेंकटेश कुमार, पंडित शौनक अभिषेक, पंडित रघुनंदन पणशीकर, पंडित
राम देशपांडे, उस्मान मीर, फाल्गुनी पाठक, राहुल देशपांडे, देवकी पंडित, पंडित जयतीर्थ मेवुंदी, आरती अंकलीकर,
पंडित आनंद भाटे और पंडित संजीव अभ्यंकर शामिल हैं।
उनकी सामूहिक कलात्मकता शनिवार की संगीत संध्या को एक स्वर्गीय अनुभव में परिवर्तित कर देगी, जो
भारत की संगीत विरासत की शाश्वतता को प्रतिबिंबित करेगी। यह एल्बम यशराज स्टूडियो में रिकॉर्ड किया गया है। भारतीय शास्त्रीय संगीत लंबे समय से आत्मा को छूने, भौतिकता से ऊपर उठकर दिव्यता को छूने के आध्यात्मिक मार्ग के रूप में कार्य करता रहा है। इस कार्यक्रम में प्रवेश निःशुल्क है तथा सभी संगीत प्रेमियों को इस उद्घाटन समार लिए सादर आमंत्रित किया
जाता है।
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