नवलजी, बलिया 20 मई 2022
प्रदेश सरकार के निर्देश पर जिले में पोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत विविध गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी संकेतकों में सुधार के लिए विभिन्न विभागों से समन्वय करके समेकित बाल विकास योजना (आईसीडीएस) की ओर से कई कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। जिसमें से एक आवश्यक संकेतक “छह माह तक के शिशुओं को केवल स्तनपान सुनिश्चित कराना” है। यह कहना है जिला कार्यक्रम अधिकारी केएम पाण्डेय का।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि मां का दूध शिशु के लिए अमृत के समान होता है तथा शिशु एवं बाल मृत्यु-दर में कमी लाने के लिए आवश्यक है, कि जन्म के एक घंटे के अंदर शिशु को स्तनपान प्रारम्भ करा दिया जाए। उन्होंने बताया कि मां का पहला गाढ़ा और पीला दूध कुदरती टीके का काम करते हुए तमाम बीमारियों से शिशु की रक्षा करता है। छह माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराना ही पर्याप्त होता है, अलग से पानी देने की जरूरत नहीं होती।
उन्होंने कहा कि मां के दूध से ही शिशु अपने लिए पर्याप्त पानी भी ग्रहण कर लेता है। इसके साथ ही उसका पोषण भी पूरा हो जाता है। उन्होंने बताया कि गर्मी में शिशुओं में केवल स्तनपान संबंधी व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए यह कार्यक्रम 10 मई से 30 जून, 2022 तक समस्त कन्वर्जेस विभागों (बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग,ग्राम्य विकास विभाग,पंचायती राज विभाग,बेसिक शिक्षा एवं खाद्य एवं रसद विभाग के जनप्रतिनिधियों तथा डेवलपमेंट पार्टनर्स के सहयोग से “पानी नहीं केवल स्तनपान” अभियान (नो वाटर वोनली ब्रेस्ट फीडिंग) आयोजित किया जा रहा है।इससे केवल स्तनपान की दर में वृद्धि होने के अपेक्षित परिणाम प्राप्त होने तथा शिशु मृत्यु दर में भी सुधार आएगा।
जिला कार्यक्रम अधिकारी के अनुसार मां का पहला गाढ़ा और पीला दूध शिशु को अवश्य पिलाएं। कुछ लोग नवजात शिशु को शहद या फिर घुट्टी देने का प्रयास करते हैं। यह नुकसानदायक है। शिशु के लिए मां का दूध अमृत समान है और छह माह तक शिशु को सिर्फ मां के दूध के अलावा कुछ भी देने की जरूरत नहीं होती। छह माह के बाद ही शिशु को मां के दूध के साथ अर्द्ध ठोस भोजन देना चाहिए।
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