अश्विन लिम्बाचिया, अमदाबाद
06 अप्रैल 2024:
देश-विदेश में मानसिक बीमार बालकों की चिकित्सा कर उन्हें स्वास्थ्य प्रदान करनेवाले मनोरोग विशेष डॉ.केतन पटेल ने बताया कि उन्होंने तकरीबन 20 हजार बालकों की चिकित्सा कर उन्हें सामान्य जीवन दिया हैं। डॉ.पटेल गुजरात के हैं। अहमदाबाद में उनका अपना होमियोपैथी क्लीनिक है।
डॉ.पटेल ने बताया कि मनोरोगी बालक केवल 120 दिनों की चिकित्सा से ही उसमें सुधार दिखना शुरू हो जाता है। उसके बाद प्रत्येक 33 दिनों में उसकी स्थिति सुधरती चली जाती है। बालक की 24 से 36 महीने तक चिकित्सा की जाती है। यदि इतने समय की चिकित्सा के बाद बालक के हालात में सुधार देखने को न मिले तो बालक की जिनेटिक एवं मेटाबोलिक AB नोर्मलिटी पायी गयी तो उसके लिए जिन- रंगसूत्र की पहचान कर लक्षणों के अनुसार उसकी चिकित्सा की जाती है।
उन्होंने बताया कि ऐसे बालकों को जिनेटीशियन चिकित्सकों द्वारा काउंसिलिंग की जाती है। बीमारी की पहचान कर इससे अवगत करवाया जाता है। इसकी विशेष आवश्यकता है। मरीज एवं उनके परिजनों को बीमारी के बारे में जानने का अधिकार हैं। उन्होंने बताया कि होमियोपैथिक चिकित्सा इस बीमारी में असरकारक है। यदि बालक के मस्तिष्क का विकास अवरुद्ध हो गया है तो उसे समाप्त कर मस्तिष्क का विकास करती है। इसके साथ ही इससे सम्बद्ध लीकिगट सिन्ड्रोम, लाइम डिसिज, मस्तिष्क में सूजन, हैवीमेटल तथा हार्मोन इम्बैलेन्स को संतुलित कर उसका विकास करता है।
उन्होंने बताया कि विश्व के डॉक्टर ओटिज्म से पीड़ित बालक की होमियोपैथी चिकित्सा देना उनकी पहली पसंद है। भारत में प्रत्येक 150 बालकों में एक बालक ओटिज्म से पीड़ित है। इस बीमारी के लक्षण में बालक नहीं बोलता, नजर न मिलाता हो, चीख उठता हो, आवाज अधिक सुनता हो, हाथ अत्यधिक हिलाता है। इसके लिए चाइल्डहुड ओटिज्म रेटिंग स्केल (CARS) टेस्ट करवाना चाहिए। जिन बालकों के डॉक्टर या सायकोलोजिस्ट की सलाह से करवाया जाता हैं। यदि यह रिपोर्ट पोजीटिव आये तो GLUTEN ग्लूटेनन फ्री, GFCF जीएफसीएफ डायट तथा सुगर फ्री डायट जैसे कि, गेहूं या जौ से बना खाद्यान्न न दें, ऐसे बालक को दूध या उससे बनी अर्थात् प्राणीजन्य मिल्क का उत्पाद न दें, साथ ही प्रतिदिन सुबह-शाम 60 मिनट दौड़ाना, चलाना अथवा सायकिलिंग करवाना चाहिए। इससे सुधार होता है।
ओटिज्म क्यों होता है, इसके उत्तर में उन्होंने बताया कि बालक के मस्तिष्क मंर सूजन इन्फेक्शन, कभी-कभी आंत या पेट खराब हो, माता के बाल में जू पड़ा हो, जहरीले जंतु का डंक, लाइमडिसिज हो ऐसे बालकों को स्वीमिंग से फायदा होता है, इससे सेल एक्टिव होता है। 500 से अधिक बालक कोच की सहायता से तैरना सीख गये हैं। उन्हें लाभ भी हुआ है। उन्होंने कहा कि दवाई के साथ आधा घंटे तक दौड़, समाज में जागृति के लिए ओटिज्म की पहचान शीघ्र ही करें, बालक की काउंसिलिंग, साथ ही खोराक पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्हें ग्लूटेन फ्री भोजन, CASE IN FREE DIET केसिन फ्री डायट, दौड़ाना-एक्सरसाइज, संभवतः जल्दी चिकित्सा करने पर भी स्वस्थ होने से तीन वर्ष लग जाता है। वे सामान्य जिंदगी व्यतीत कर सकते हैं।
डॉ.केतन पटेल अहमदाबाद में होमियोपैथिक के अनुभवी डॉक्टर हैं। वे गत 32 वर्षों से चिकित्सा कर रहे हैं। डॉ.केतन पटेल 21 वर्ष से ओटिज्म पर रिसर्च के साथ-साथ ओटिज्म एवं जिनेटिक क्षति वाले बालकों की चिकित्सा कर रहे हैं।
देश के सात बड़े शहरों में ओटिज्म एवं चाइल्डन्यूरोलॉजी डिसऑर्डर के बारे में सेवा प्रदान करते हैं। होमियोपैथिक डॉक्टर होते हुए भी मेडिकल रिसर्च पर बल देने के कारण उनका पांच से भी अधिक रिसर्च पेपर विश्व के मशहूर मेडिकल जनरल में प्रकाशित हुए हैं। ओटिज्म चिकित्सा रिसर्च में इस प्रकार का काम भारत के लिए गौरवपूर्ण हैं।
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