फ्लोरोसिस फैलने की आशंका से ग्रामीण चिंतित
डीएम को पत्र भेज फ्लोरोसिस व जल स्त्रोतों की जांच कराने की मांग
आइपीएफ नेताओं ने फ्लोरोसिस प्रभावित गांवों का किया दौरा
उपेन्द्रकुमार तिवारी, दुद्धी, सोनभद्र (उत्तरप्रदेश)
24 जून 2023:
म्योरपुर-सोनभद्र|डड़िहारा निवासी इंद्रदेव खरवार और रासपहरी निवासी कृपाशंकर पनिका की वनवासी सेवा आश्रम में आई देहरादून की टीम द्वारा फ्लोरोसिस जांच में यूरीन में तय मानक से कृमशः 1.5 मिली ग्राम प्रति लीटर से 14 गुना ज्यादा 21 .6 मिली ग्राम / प्रति लीटर व 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से कई गुना ज्यादा 9.48 मिलीग्राम प्रति लीटर फ्लोराइड पाए जाने से फ्लोरोसिस फैलने की आशंका से ग्रामीण चिंतित हैं, उन्होंने डीएम को पत्र भेज फ्लोरोसिस व जल स्त्रोतों की जांच कराने की मांग की है। प्रेषित पत्र में ग्रामीणों का आरोप है कि रिहंद जलाशय का पानी फ्लोराइड, मरकरी, आर्सेनिक व सीसा युक्त है और पीने योग्य नहीं है। रिहंद जलाशय के आसपास के क्षेत्र में जो भी पेयजल स्त्रोत हैं उसमें भी फ्लोराइड की मात्रा काफी ज्यादा है। इसकी पूर्व में हुई जांच में पुष्टि हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग ने भी अपनी जांच में पाया था कि रिहंद जलाशय और उसके आसपास के गांवों में जलस्त्रोतों में अमूमन पीने योग्य पानी नहीं है।
इसके बाद काफी संख्या में आरओ प्लांट लगाए गए लेकिन भौगोलिक स्थिति के लिहाज से यह अपर्याप्त थे और इनमें से कई खराब पड़े हुए हैं साथ ही तमाम फ्लोराइड प्रभावित गांवों में अभी तक एक भी आरओ प्लांट नहीं लगाया गया, न ही शुद्ध पेयजलापूर्ति का अन्य वैकल्पिक व्यवस्था की गई। गर्मी के समय टैंकरों द्वारा बेहद सीमित है जिसकी वजह से तमाम गांवों में रिहंद जलाशय का जहरीला पानी पीना ग्रामीणों की मजबूरी है। पत्र पर मंगरू प्रसाद श्याम, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, शिव प्रसाद गोंड़,इंद्रदेव खरवार, बिरझन गोंड़, दारा सिंह गोंड़, भगवान सिंह गोंड़, राजकुमार खरवार, राम विचार गोंड़, सिंह लाल गोंड़, मनोहर गोंड़ आदि ने हस्ताक्षर किए हैं।
इधर आइपीएफ नेताओं ने फ्लोरोसिस प्रभावित गांवों में दौरा कर ग्रामीणों से मुलाकात की। ग्रामीणों ने बताया कि शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों द्वारा फ्लोरोसिस और प्रदूषित पानी पीने से फैलने वाली अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए आश्वासन दिया गया लेकिन जमीनी स्तर पर खास कुछ नहीं किया गया। आइपीएफ नेताओं को फ्लोरोसिस प्रभावित गांव के लोगों ने बताया कि जो आर ओ प्लांट लगाए गए हैं उसकी आबादी के 10 फीसद हिस्से तक भी पेयजलापूर्ति संभव नहीं है। सोढ़ो, पडरी, बोदराडांड, तीन पहरी,बन पैसा जैसे तमाम गावों में रिहंद जलाशय का पानी पीना उनकी मजबूरी है।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर जांच होगी तो फ्लोरोसिस से आबादी का बड़ा हिस्सा प्रभावित मिलेगा। शासन प्रशासन के रवैये को लेकर ग्रामीणों में रोष दिखाई दिया। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि न तो उनकी नियमित जांच होती है और न ही सरकारी दवा मिलती है।दरअसल इतने बड़े पैमाने पर बीमारियों से लोगों के ग्रसित होने के बावजूद इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं। आइपीएफ टीम में प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, मंगरू प्रसाद श्याम, मनोहर गोंड़, गम्भीरा गोंड़ आदि लोग रहे।
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