नवलजी, बलिया (उत्तरप्रदेश)
30 मार्च, 2023:
बलिया बासंतिक नवरात्र के अष्टमी तिथि बुधवार को जिले के प्रमुख मंदिरों में भक्तों ने मां महागौरी का दर्शन-पूजन किया। इसके साथ ही नारियल, चुनरी, धूप, गुड़हल चढ़ाकर परिवार के सुख-समृद्घि की कामना की। इस दौरान मां के जयकारे एवं घंट-घडिय़ाल से मंदिर परिसर सहित पूरा क्षेत्र के देवीमय हो गया। श्रद्धालुओं के दर्शन पूजन के लिए मंदिर के पट चार बजे भोर से ही खोल दिए गए थे। इसके अलावा लोग मंदिरों के अंदर व अपने-अपने घरों पर दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया।मंदिरों के आसपास नारियल, चुनरी, फूल-माला व प्रसाद के साथ ही छोला, चाट, समोसा, जलेबी, खेल-खिलौने व सौंदर्य प्रसाधन की दुकानें सजी हुई थी, जहां श्रद्घालुओं ने खरीददारी की।नगर के गुदरी बाजार, जापलिनगंज दुर्गा मंदिर तथा ब्रह्माइन स्थित ब्राह्मणी देवी, शंकरपुर स्थित शांकरी भवानी, फेफना थाना के कपूरी गांव स्थित कपिलेश्वरी भवानी मंदिर में मां के भक्तों ने नारियल, चुनरी, प्रसाद चढ़ाकर परिवार के मंगलमय की कामना की। उधर, ग्रामीण क्षेत्रों में नरहीं थाना के कोरंटाडीह स्थित मंगला भवानी, रसड़ा के काली मंदिर, नीबू कबीरपुर व उचेड़ा स्थित चंडी भवानी, सिकंदरपुर के जल्पा-कल्पा मंदिर, मनियर के बुढ़ऊ बाबा मंदिर व नवका बाबा मंदिर, रेवती के पचरूखा देवी मंदिर पर श्रद्घालुओं की भीड़ भोर से ही लग गई। इस दौरान भक्तों ने स्वयं कतारवद्घ होकर दर्शन पूजन किया और जयकारे लगाए। जिससे मंदिर सहित आसपास का क्षेत्र के देवीमय हो गया। वही मां के भक्तो ने अष्टमी व्रत रखा और शाम को कलश स्थापना कर महिलाएं रात में जागरण करेंगी।
नवरात्रि में कन्याओं का पूजन का विशेष है महत्व
बलिया। शारदीय या बासंतिक नवरात्रि में नवमी को हवन तथा कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व होता है। इसके बिना व्रत का संकल्प पूर्ण नहीं माना जाता है। जो भक्त कुवारी कन्याओं को अन्न, वस्त्र तथा जल अर्पण करते है, उसका अन्न मेरू के समान और जल समुद्र के सदृश्य अक्षुण्ण तथा अन्नत होता है। कुवारी कन्याओं को वस्त्र अर्पित कर भक्तगण करोड़ों वर्षो तक शिवलोकों में पूजे जाते है तथा पूजा का उपकरण देने पर स्वयं देवगण पुत्र रूप में प्राप्त होते है। यह बाते मिड्ढा निवासी पंडित पवन कुमार पांडेय ने विज्ञप्ति जारी कर कही। बताया कि मां दुर्गा की पूजा अनेकों विधानों से की जाती है। पूजा में जिन सामग्रियों का प्रयोग होता है, उन्हें उपचार की संज्ञा दी जाती है। साधारणतया इनकी संख्या 16 होती है। भगवती की कृपा प्राप्त कर साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है। कुवारी कन्याओं के पूजन में जातिभेद का विचार वर्जित है। जहां पर कन्याओं का पूजन होता है, वह स्थान चार-पांच कोस तक पवित्र हो जाता है।
#bharatmirror #bharatmirror21 #news #ballia #uttarpradesh #ahmedabad