अश्विन लिंबाचिया, अमदाबाद:
28 मई 2025:
डॉ.आशिता जैन, फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, सूरतजब मीरा ने दो साल में तीसरी बार गर्भपात का अनुभव किया, तो किसी को भी इसका कारण समझ में नहीं आया। उसे कोई पुरानी बीमारी भी नहीं थी, उसने अपने डॉक्टर की सलाह का भी अच्छी तरह से पालन किया था और उसके सभी तरह के स्कैन भी सामान्य ही थे। उसकी गर्भावस्था के दौरान एक चीज लगातार बनी रही? गंभीर एनीमिया जो सप्लीमेंट्स पर असर नहीं कर रहा था। जब तक उसने थैलेसीमिया स्क्रीनिंग नहीं करवाई, तब तक असली समस्या का पता ही नहीं चला। दरअसल, मीरा बीटा- थैलेसीमिया से प्रभावित थी, जो कि एक ऐसी मेडिकल कंडीशन थी, जिसके बारे में उसने कभी नहीं सुना था।

दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में कई महिलाओं के साथ ऐसा ही होता है, जहां थैलेसीमिया का जोखिम
अधिक होता है। अकेले भारत में अनुमानित 30-40 मिलियन बीटा-थैलेसीमिया के कैरियर हैं।
थैलेसीमिया को समझना जरूरी थैलेसीमिया एक जैनेटिक डिसऑर्डर है जो हीमोग्लोबिन उत्पादन को प्रभावित करता है। कम हीमोग्लोबिन के साथ, शरीर ऑक्सीजन ले जाने के लिए संघर्ष करता है, जिससे क्रोनिक एनीमिया होता है। इसके स्पष्ट लक्षणों में थकान, कमजोरी, सांस फूलना और चक्कर आना शामिल हैं। चूंकि लक्षण हल्के हो सकते हैं, इसलिए कई महिलाओं को तब तक एहसास नहीं होता कि वे इसकी कैरियर हैं जब तक कि उन्हें गर्भावस्था की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता।
यदि दोनों साथी कैरियर हैं, तो प्रत्येक गर्भावस्था में बच्चे को बीटा-थैलेसीमिया मेजर जैसे गंभीर रूप से
विरासत में मिलने का 25% तक जोखिम होता है। फर्टिलिटी क्षमता से जुड़ा संबंध
थैलेसीमिया से पीड़ित महिलाएं, विशेष रूप से गंभीर एनीमिया से पीड़ित महिलाएं, बार-बार गर्भपात,
समय से पहले प्रसव यानि डिलीवरी या IUGR का अनुभव कर सकती हैं। इसके काफी एडवांस्ड मामलों में, भ्रूण को गर्भ में ही एनीमिया हो सकता है, जिससे हार्ट फेल होना या हाइड्रॉप्स फीटालिस हो सकता है। ये एक जान जोखिम में डालने वाली स्थिति जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात या स्टिलबर्थ यानि मृत शिशु हो सकता है।
थैलेसीमिया स्क्रीनिंग क्यों मायने रखती है
समय पर पता लगाने से जोड़ों को सूचित विकल्प चुनने में मदद मिलती है। गर्भवती महिलाओं के लिए,
समय पर इसका पता लगाना यानि डायग्नोसिस डॉक्टरों को गर्भावस्था की बेहतर निगरानी और प्रबंधन
करने की अनुमति देता है। स्क्रीनिंग आमतौर पर रेड ब्लड सेल्स में असामान्यताओं की पहचान करने के लिए सीबीसी से शुरू होती है, इसके बाद असामान्य हीमोग्लोबिन के लिए टेस्ट किए जाते हैं। जैनेटिक टेस्टिंग से कैरियर के स्टेट्स की पुष्टि हो सकती है।
यदि दोनों साथी इसके कैरियर हैं, तो सीवीएस या एमनियोसेंटेसिस जैसे प्रसवपूर्व टेस्टों से यह पता लगा
सकते हैं कि भ्रूण में यह स्थिति है या नहीं। आपको क्या करना चाहिए दंपत्तियों को स्क्रीनिंग पर विचार करना चाहिए यदि:
- उन्हें कई बार गर्भपात हुआ हो या लगातार एनीमिया हो
- वे हाई रिस्क वाले एथनिक ग्रुप्स से संबंधित हों
- उनके परिवार में थैलेसीमिया या ब्लड डिसऑर्डर्स की हिस्टरी हो
- वे प्रेगनेंसी की योजना बना रहे हों
थैलेसीमिया भले ही साइलेंट हो, लेकिन गर्भावस्था पर इसका प्रभाव साइलेंट नहीं रहता है। एक साधारण टेस्ट बाद में पेश आने वाली कई जटिल समस्याओं को रोक सकता है।
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