●कैंप कार्यालय पर हुआ आयोजन
●लगभग 30 लाख से अधिक लोगों को दवा खिलाने का है लक्ष्य
●फाइलेरिया उन्मूलन एमडीए अभियान के लिए 2772 टीमों का गठन
नवलजी, बलिया (उत्तरप्रदेश)
10 फ़रवरी, 2023:
राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान का शुभारंभ जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने शुक्रवार को कैम्प कार्यालय पर स्वयं दवा खाकर किया। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारि डॉ० जयन्त कुमार, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० योगेंद्र दास, वेक्टर बॉर्न के नोडल अधिकारी डॉ० अभिषेक मिश्रा एवं जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने भी फाइलेरिया से बचाव की दवा खायी।
इस मौके पर जिलाधिकारी ने जनमानस से अपील की कि स्वास्थ्य विभाग की टीम जब दवा खिलाने जाए तो टीम के सामने दवा जरूर खाएं और जनपद को फाइलेरिया मुक्त बनाने मे योगदान दें।
सीएमओ डॉ० जयन्त कुमार ने कहा कि इस बीमारी के दुष्परिणाम 5 से 15 साल बाद देखने को मिलते हैं । शुरूआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं और जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है और जब यही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के परिजीवी रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। इस बीमारी से हाथ, पैर, स्तन और अंडकोष में सूजन पैदा हो जाती है। सूजन के कारण फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता जैसी स्थिति बन जाती है । प्रभावित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टदायक हो जाता है। यह एक लाइलाज बीमारी है | इस बीमारी से बचाव के लिए वर्ष में एक बार पांच साल तक दवा खाना जरूरी है।
नोडल अधिकारी डॉ० अभिषेक मिश्रा ने कहा कि जनपद में 27 फ़रवरी तक फाइलेरिया उन्मूलन एमडीए अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के अन्तर्गत घर-घर जाकर एक वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी और एल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक घर-घर जाकर स्वास्थ्यकर्मी अपने सामने खिलाएंगे एवं किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। पेशाब में सफेद रंग के द्रव्य का जाना जिसे काईलूरिया भी कहते हैं जो फाइलेरिया का ही एक लक्षण है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन की समस्या आती है। फाइलेरिया होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि अभियान के लिए जिले में 2772 टीमों का गठन किया गया है । पर्यवेक्षण के लिए 439 लोगों को लगाया गया है। उन्होंने कहा कि सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं, जो की दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं।
लाभार्थियों ने स्वास्थ्य टीम के सामने खाई दवा – अमृतपाली निवासी बलदेव श्रीवास्तव (30) ने बताया कि मैंने आशा कार्यकर्ता से दवा खाई है। इससे कोई दिक्कत नहीं हुई। यह दवा खाना बहुत जरूरी है जिससे फाइलेरिया रोग से सभी को मुक्ति मिल सके।
सोबईबान निवासी पीयूष खरवार (22) ने बताया कि मैंने फाइलेरिया रोधी दवा टीम के सामने ही खाई। इससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखने को मिला। मै सभी व्यक्तियों से निवेदन करता हूँ कि जब भी आपके सामने फाइलेरिया की दवा खिलाने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीम पहुंचे तो उनके सामने दवा जरूर खाएं।
इस अवसर पर सहायक मलेरिया अधिकारी नीलोत्पल कुमार, सुजीत कुमार प्रभाकर वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक ताज मोहम्मद एवं कृष्ण कुमार पाण्डेय, डीवीबीडीसी कंसल्टेंट रागिनी तिवारी, मलेरिया निरीक्षक सुशील कुमार,राज कुमार, वरुण कुमार एस एल टी छोटे लाल,पाथ संस्था से डॉ०अबू कलीम, पी सी आई संस्था से संजय सिंह, साथ ही फाइलेरिया एवं मलेरिया विभाग के सभी अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।
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