फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्यों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
शिवरामपुर गांव में 80 लोगों के लिए गए सैंपल
नवलजी, बलिया (उत्तरप्रदेश)
06 जनवरी 2023:
स्वास्थ्य टीम ने बेरुआरबाड़ी ब्लॉक के अंतर्गत शिवरामपुर गांव में गुरुवार रात 80 लोगों के सैम्पल एकत्र किए। यह कार्य सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से तैयार फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्यों के खास प्रयास से पूरा हुआ है। सैम्पल लेने के लिए इन सदस्यों ने कुछ दिन पहले जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव को अनुरोध पत्र दिया था।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के लिए टीम बनाई गई थी जो रात में लोगों के खून का सैंपल लेकर फाइलेरिया संक्रमण का पता लगाएंगे। इसके परजीवी यानि माइक्रो फाइलेरिया रात में ही सक्रिय होते हैं। उन्होंने बताया कि इसमें 20 साल से अधिक आयु की महिलाओं व पुरुषों का सैंपल लिया गया। सैंपल लेकर रक्त पट्टिका बनाई गई। इसका उद्देश्य फाइलेरिया रोगी मिलने पर उसका तत्काल इलाज मुहैया कराकर जिले को इस रोग से मुक्त बनाना है। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि जय मां वैष्णो देवी फाइलेरिया नेटवर्क के 7 सदस्यों ने 50 लोगों को नाइट ब्लड सर्वेक्षण के लिए मोबलाइज किया। नेटवर्क के 15 लोगों ने भी अपनी जांच कराई। नेटवर्क के सदस्य शिव शंकर प्रजापति ने 80 लोगों के रजिस्ट्रेशन में सहयोग किया।
क्या है फाइलेरिया- जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथीपाँव के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन की समस्या आती है। पेशाब में सफेद रंग के द्रव्य का जाना जिसे काईलूरिया भी कहते हैं जो फाइलेरिया का ही एक लक्षण है।
जिला मलेरिया अधिकारी बताया कि जिले मे अब तक फाइलेरिया के चिन्हित 1699 मरीज हैं। इन मरीज़ों मे एमएमडीपी किट का वितरण 1186 को हुआ है। जनवरी 2022 से अब तक 201 नए मरीज़ मिले हैं। जिनका इलाज़ चल रहा है। उन्होने जनपदवासियों से अपील की है कि 10 फरवरी से 27 फरवरी तक फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू हो रहा है। इस अभियान के तहत दो वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती व गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को छोड़कर सभी को फाइलेरिया की दवा अपने सामने खिलाएंगे। उन्होंने बताया कि लगातार पांच वर्षों तक साल में एक बार दवा खा लेने से इस बीमारी के होने से रोकने या नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
इस नाइट ब्लड सर्वे में फाइलेरिया इंस्पेक्टर ओम प्रकाश पाण्डेय, वरिष्ठ लैब टेक्नीशियन जितेंद्र यादव, आरएनटीडीओ डॉ०अबू कलीम, पाथ संस्था के जिला समन्वयक नीतेश कुमार, सीफार के जिला समन्वयक आशीष पांडेय, गुलाब चंद्र यादव, ब्लॉक कॉर्डिनेटर शिवशंकर ,आशा कार्यकर्ता रेनू, चिंता और कुमारी आदि का सहयोग रहा।
फाइलेरिया के लक्षण : –
- कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना।
- शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन।
- हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील)।
- महिलाओं के ब्रेस्ट में सूजन, पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।
- संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल तक में दिख सकते हैं।
बचाव: – - लक्षण दिखने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।
- फाइलेरिया की दवा का सेवन पांच वर्ष तक हर साल कर बचा जा सकता है।
- फाइलेरिया के मच्छर गंदी जगह पर पनपते हैं। इसलिए मच्छरों से बचाव करें।
- साफ़ सफाई रखकर मच्छर से बचने के लिए फुल आस्तीन के कपड़े पहनें।
- रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। #bharatmirror #bharatmirror21 #news #ballia #uttarpradesh #ahmedabad