नवलजी, बलिया (उत्तरप्रदेश)
24 मई 2022
जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बताया कि जनपद में जनवरी 2022 से अब तक कालाजार के 10 नए रोगी मिले हैं । जिसमें 3 वीएल (बुखार वाला कालाजार के) और 7 पीकेडीएल (चमड़ी वाला कालाजार ) के मरीज हैं। उन्होंने बताया की यह एक जानलेवा बीमारी है और यह जनपद कालाजार प्रभावित प्रदेश के जनपदों में से एक है। हालांकि इससे बचाव को लेकर 11 ब्लॉकों के ग्रामों में प्रथम चक्र का कालाजार (आईआरएस) छिड़काव का शुरू किया गया था। वर्तमान में छिड़काव का कार्य दो बचे दुबहर और बैरिया ब्लॉकों में चल रहा है।
उन्होंने बताया की कालाजार रोग बालू मक्खी के काटने से होता है। बालू मक्खी को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रभावित ग्रामों में सिंथेटिक पैराथ्राइड दवा का छिड़काव घरों के अन्दर (आईआरएस) किया जाता है। बालू मक्खी जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती है। इसलिए छिड़काव घर के अंदर छह फीट ऊंचाई तक कराया जाता है। उन्होने बताया कि कोरोना काल में यदि किसी में कालाजार के लक्षण दिखें तो वह उसे अनदेखा न करें और तत्काल नजदीक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर नि:शुल्क जांच कराकर जिला अस्पताल में नि:शुल्क इलाज की सुविधा का लाभ उठाएं। उन्होंने निजी चिकित्सकों से भी अपील की है कि यदि किसी के पास कोई कालाजार का रोगी इलाज कराने पहुंचे तो उस रोगी को जिला अस्पताल अवश्य भेजें।
उन्होंने बताया की कालाजार बालू मक्खी के काटने से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। यह छह फीट ही उड़ पाती है । इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। इस बीमारी में दो सप्ताह से लगातार या रुक-रुक कर बुखार आना, वजन कम होना, मरीज का पेट फूल जाना, भूंख कम लगना और शरीर काला पड़ जाना आदि इसके लक्षण हैं।
क्या करें:
1- घर के आस-पास साफ सफाई का ध्यान रखें
2- मच्छरदानी का नियमित प्रयोग करें
3- पूरी बांह वाली कमीज और पैंट पहने
4- दरवाजे व खिड़कियों पर जाली लगवाएं
क्या न करें:-
बीमारी एक बार ठीक होने पर लापरवाही ना करें, क्योंकि यह बीमारी एक बार ठीक होने पर दोबारा से शुरू हो सकती है, इसलिए चिकित्सक की सलाह लेते रहें।
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