बिना पेथॉलोजिस्ट के हो रही मरीजों के ब्लड की जांच
उपेन्द्रकुमार, दुद्धी, सोनभद्र
दिनांक:२४ फ़रवरी २०२२:
स्थानीय नगर में मरीजों से ब्लड जांच के नाम पर लूट मची हुई है। दुद्धी कस्बे से गांव तक बिना पैथॉलोजिस्ट और बिना रजिस्ट्रेशन के अवैध पैथोलॉजी संचालित की जा रहीं है। निर्वाध रूप से चल रहे अवैध खून जांच घरों में किसी पैथोलॉजी लैब पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पैथोलॉजी संचालकों ने नर्सिंग होमों के अलावा खास तौर पर सरकारी अस्पतालों को भी हाईजैक कर रखा है। कस्बे में अधिकांश पैथोलॉजी लैब सरकारी अस्पतालों के आसपास व अगल-बगल में खुले हैं। सरकारी अस्पताल में जांच की हर सुविधा होने के बावजूद चिकित्सक मरीजों को बाहर भेजते हैं। दिखावटी रूप में चिकित्सक अस्पताल की लैब में जांच कराने का परामर्श देते हैं मगर सेटिंग्स के अनुसार बिचौलिए मरीज को बाहर की लैब पर जांच कराने की सलाह दे अन्यत्र ले जाकर आर्थिक शोषण करते हैं। सीएचसी में कुल 5 निःशुल्क लैब संचालित हो रहे हैं। इसमें पूर्व से संचालित पैथालाजी कक्ष में मलेरिया-टायफाइड व कॅरोना आदि जांच, डॉट्स टीवी लैब में टीवी की जांच, एकीकृत परामर्श एवं परीक्षण लैब में एड्स जांच, ब्लड बैंक में ब्लड ग्रुप जांच सहित गैर संचारी रोग अत्याधुनिक लैब में सीबीसी, केएफटी (किडनी फंक्शन टेस्ट), एलएफटी (लिवर फंक्शन टेस्ट) आदि निःशुल्क जांच की जाती है। जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा केंद्र में प्रदत्त कराई गई इन सुविधाओं का कितना लाभ गरीब मरीजों को मिल रहा है, यह जगजाहिर है। मरीज पहले दो-चार सौ रुपये लेकर आता था तो इलाज हो जाता था। अब हजार रुपये भी लेकर आता है तो जांच शुल्क अदा करने के बाद दवा लेने के पैसे नही बचते। चिकित्सकों द्वारा ओपीडी पर्ची के सामने हिस्से में सरकारी दवा और सरकारी पर्ची के पीछे “आन रिक्वेस्ट” या अलग से छोटी पर्ची पर दवा लिखकर बाजार से खरीदने के लिए थमा दिया जाता है।
मेडिकल स्टोर पर दवा का दाम भी हजार रुपये सुनने के बाद मरीज की आत्मा को ठेस पहुंचता है। हजार रुपये लेकर इलाज कराने आया मरीज पैसे के अभाव में बिना दवा लिए मात्र सरकारी अस्पताल से मिली आयरन, कैल्शियम, बी काम्प्लेक्स, एविल जिनकी कीमत एक-दो रुपये प्रति टैबलेट होती है, ईश्वर का दूसरा रूप में माने जाने वाले डॉक्टरों की दुहाई देता अपने गंतव्य को लौट जाता है। बताया जाता है कि किसी भी तरह की ब्लड जांच की कोई रेट निर्धारित नही है। डॉक्टर की कमीशन पर पैथोलॉजी सेंटर वाला मरीजों से मनमाना रेट वसूलता है। सबसे साधारण और कामन जांच मानी जाने वाली मलेरिया और टायफाइड की 15 रुपये में खुलेआम दवा की थोक दुकानों पर मिलने वाली किट की वसूली ढाई-ढाई सौ रुपये प्रति की जाती है। इसी तरह शहरों में 100 रुपये में होने वाली सीबीसी जांच का 300 रुपया चार्ज किया जाता है। मरीज अवैध पैथोलॉजी के जाल में फंसकर असहाय नजर आ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो दुद्धी कस्बे सहित आसपास एक भी पैथोलॉजी रजिस्टर्ड नही है, बावजूद इसके अवैध पैथोलॉजी को बढ़ावा देने में चिकित्सकों का ही हाथ रहता है। डॉक्टरों की कमीशन 50 परसेंट तक होती है। इसके मूल में कमीशनखोरी ही है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ आरएस ठाकुर द्वारा बिना पंजीकरण या नियम विरुद्ध संचालित हो रहे अस्पताल, नर्सिंग होम, पैथोलॉजी सेंटर की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ जीएस यादव के नेतृव में गठित की गई है। कार्रवाई न होने की वजह से अवैध लैब संचालकों के हौंसले इतने बढ़ गए हैं कि लैब में मरीजों का खुले आम खून चूसा जा रहा है। इन लैब में कराई गई जांचों की रिपोर्ट कितनी सही होगी, इसका जवाब देने के लिए कोई भी तैयार नही है।
इस बाबत जनपद के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी व नोडल प्रभारी डॉ जीएस यादव ने कहा कि अभी मुझे नोडल का प्रभार नया-नया मिला है। जांच की कार्रवाई चल रही है। मार्च तक जो अस्पताल, नर्सिंग होम और पैथोलॉजी लैब रजिस्ट्रेशन नही कराते हैं तो
किसी भी हालत में अवैध रूप से संचालित होने वाले ऐसे पैथोलॉजी, नर्सिंग होम व हॉस्पिटल पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।