उपेन्द्रकुमार तिवारी, दुद्धी, सोनभद्र (उत्तरप्रदेश)
दिनांक: ०२ फ़रवरी २०२२:
दुद्धी ब्लांक के ग्राम केवाल घिवहीँ एवं धुमा में कृषि विज्ञान संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय तथा राई सरसों अनुसंधान निर्देशालय भरतपुर राजस्थान के द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित जनजातीय उप परियोजना के ताहत राई की वैज्ञानिक उत्पादन तकनीक विषय पर किसान गोष्ठी अयोजित की गईं।
इस परियोजना के ताहत अक्टूबर माह में 150 किसानों को सरसों का बीज वितरण किया गया था।और आज इन किसानों के साथ गोष्ठी का आयोजन किया गया। और साथ में कवकनाशी ,कीटनाशक, सल्फर और सूक्ष्म पोषक तत्त्व एवं छिड़काव मसीन का वितरण किसानों को किया गया। इस अवसर पर संस्थान के राई सरसों के वैज्ञानिक प्रोफेसर कार्तिकेय श्रीवास्तव और उनकी टीम एवं सहयोगी कृषक श्री गौरीशंकर कुशवाहा द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। और इस कार्यक्रम में राई सरसो के वैज्ञानिक प्रोफेसर कार्तिकेय श्रीवास्तवजी ने सिंचित दशा में समय से बुआई वाली प्रजातियों के विषय मे विस्तृत जानकारी दिए उन्होंने बताया सरसों कि नवीन प्रजातियों जैसे गिरिराज, आर एच 725 का प्रयोग कर किसान अधिक ऊपज प्राप्त कर सकता हैं। उन्होंने ने बताया इस जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से राई सरसों एक उचित दिर्घ कालिक ऊपज स्थायी वाला पर्याय हैं।
और साथ ही साथ भूमि की तैयारी उर्वरक के उपयोग खरपतवार नियंत्रण तथा समेकित पोषक तत्त्व प्रबन्धन पर तथा तेल की प्रतिशत बढ़ाने के लिए सल्फर तथा सूक्ष्म तत्वो के प्रयोग पर बल दिया। और सरसों में लगने वाले रोग झुलसा सफेद गेरूई तुलसिता रोग के प्रबंधन के विषय मे विस्तृत जानकारी दी । इस मौके पर सुशील यादव अशर्फी लाल जगरनाथ फेकन राम विश्वामित्र गोवर्धन कुशवाहा सहित सैकड़ों किसन मौजूद रहे।