नवलजी, बलिया (उत्तरप्रदेश)
29 सितंबर, 2022:
बलिया विश्व रेबीज़ दिवस के अवसर पर शहर के जगदीशपुर चौराहा पर स्थित शान्ती देवी नेत्रालय के परिसर में कामेश्वर चैरिटेबल ट्रस्ट के बैनर तले जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा विरेन्द्र कुमार एवं यातायात प्रभारी विश्व दीप सिंह ने फीता काट किया।जिसमें जनपद के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डा अभिषेक गुप्ता ने कहा कि कुत्ता, बंदर, सियार, बिल्ली व अन्य स्तनधारी जंतुओं के काटने से व्यक्ति को अधिक घबराने की जरूरत नहीं है। बशरर्ते वह इलाज (वैक्सीनेशन) के प्रति जागरूक हो। वैसे तो रेबीज से संक्रमित जानवरों की तादाद पांच फीसद के करीब ही होती है, लेकिन फिर भी इन जानवरों के चपेट में आने के बाद वैक्सीनेशन बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि भूलवश यदि व्यक्ति में रेबीज का संक्रमण हो गया तो फिर यह लाइलाज ही है।
इस दौरान यह वायरस व्यक्ति के ब्रेन (मस्तिष्क) पर सीधे अटैक करता है, जो कि उसकी मौत का कारण बनता है। जिला कार्यक्रम अधिकारी डा अभिषेक मिश्रा ने कहा कि रेबीज संक्रमित जानवर के काटने से यह खतरनाक वायरस पेरीब्रल नर्व के माध्यम से व्यक्ति के तंत्रिकातंत्र (सीएनएस) पर हमला करते हुए ब्रेन तक पहुंच बना लेता है। इससे पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क की मांसपेशियों में सूजन आने के साथ स्पाइनल कार्ड भी प्रभावित हो जाती है। व्यक्ति में इंसेफ्लाइटिस जैसी स्थिति हो जाती है और वह कोमा में चला जाता है। इससे उसकी मौत हो जाती है।ड दो व्यक्ति में रेबीज का संक्त्रमण फैलने पर व्यक्ति फोटोफोबिया, थरमोफोबिया, हाइड्रोफोबिया व एयरोफोबिया से ग्रसित हो जाता है, जिसके निम्न लक्षण होते हैं- व्यक्ति चमक यानी की रोशनी से भागता है। अधिक गर्मी होने पर भी खुद में असहज महसूस करता है।
पानी से दूर भागता है। तेज हवा भी बर्दाश्त नहीं कर पता। संक्रमण से व्यक्ति जानवर की भांति ही हिंसात्मक व आक्रामक हो जाता है। भूख कम हो जाती है, खाना-पीना बंद कर देता है।सांस लेने पर हांफने की आवाज के साथ सलाइवा बाहर निकलनी लगती है। व्यक्ति में बुखार सिर दर्द, उल्टी, चक्कर आना व शारीरिक कमजोरी आना समेत आदि लक्षण होते हैं। डा अनुराग राय के मुताबिक यदि थोड़ी सी सावधानी बरतें तो अस्सी फीसदी संक्रमण का खतरा टल जाता है। जैसे कुत्ता, बंदर, बिल्ली आदि स्तनधारी जानवरों के काटने से पीड़ित व्यक्ति को डिटाल साबुन के पानी से घाव को 15 मिनट तक धुलना चाहिए। घाव पर पिसी मिर्च, मिट्टी का तेल, चूना, नीम की पत्ती, एसिड आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।घाव धोने के बाद कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम, लोशन, डेटाल, स्प्रिट, बीटाडीन आदि लगाया जा सकता है।
घाव खुला छोड़ दें, अधिक रक्त स्त्राव होने पर साफ पट्टी बांध सकते हैं। टांके न लगवाएं। कुत्ता के काटने पर उस पर दस दिन तक निगरानी बनाए रखें, यदि वह जिंदा है तो संक्रमण का खतरा नहीं है। कार्यक्रम में हरेंद्र सिंह, राजेश्वर तिवारी,प्यारे मोहन, कमलेश शर्मा, विजेन्द्र माली, आकाश पाण्डेय, रणजीत पाण्डेय,हरी लाल, अफरोज आलम, खुर्शीद अहमद,रेखा मौर्या, श्रीकांत चौरसिया, त्रिभुवन राम , पूनम , बरमेश्वर, आदि लोग मौजूद रहे कार्यक्रम का संचालन कामेश्वर चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव संतोष तिवारी किया।
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